सच कहूँ तो मैं अकिंचन भदोरिया साहेब के गीत पर प्रशंसा में क्या लिखूं। बड़े ही उत्कृष्ट गीत, सरल प्रवाहमान भाषा, बेहद सुन्दर बिम्ब वाले ये आठों गीत मन को छू गए। इन गीतों को उनकी आवाज में सुनना सचमुच अद्भुत रहा होगा। दहिया सर को इस गीत की यहाँ चर्चा के लिए चुना ताकी हम जैसे नए लोग भी सुन-गुण सके। इन्हें कोटिश आभार
-राकेश पाठक
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