[ छः ]
बात-बात पर
मीन मेख है
नुक्ता चीनी है
यह विरोध लगता
बेमानी महज मशीनी है
सदियों से
अत्याचारों को
सहते आए थे
हाँ जू- हाँ जू
ठकुर सुहाती
कहते आए थे
प्रायश्चित की
वही ज़िन्दगी
हमें न जीनी है।
राज पाट मिल गये
न जाने
कितने माटी में
लेकिन हम
जीवित परम्परा में
परिपाटी में
सुन लो गुन लो
एक हकीकत
यही ज़मीनी है।
गाडी कभी
नाव में थी,
अब नाव है
गाड़ी में
दुखी वही दिखते
तिनके हैं
जिनकी दाढ़ी में
कड़वी है यह दवा
मगर अब
सबको पीनी है।
-डा० रविशंकर पाण्डेय
बात-बात पर
मीन मेख है
नुक्ता चीनी है
यह विरोध लगता
बेमानी महज मशीनी है
सदियों से
अत्याचारों को
सहते आए थे
हाँ जू- हाँ जू
ठकुर सुहाती
कहते आए थे
प्रायश्चित की
वही ज़िन्दगी
हमें न जीनी है।
राज पाट मिल गये
न जाने
कितने माटी में
लेकिन हम
जीवित परम्परा में
परिपाटी में
सुन लो गुन लो
एक हकीकत
यही ज़मीनी है।
गाडी कभी
नाव में थी,
अब नाव है
गाड़ी में
दुखी वही दिखते
तिनके हैं
जिनकी दाढ़ी में
कड़वी है यह दवा
मगर अब
सबको पीनी है।
-डा० रविशंकर पाण्डेय
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